Wednesday, May 21, 2025
33.1 C
New Delhi

Rozgar.com

33.1 C
New Delhi
Wednesday, May 21, 2025

Advertisementspot_imgspot_imgspot_imgspot_img
HomeLifestyleHealthAutophagy: क्या है व्रत-उपवास व विज्ञान।

Autophagy: क्या है व्रत-उपवास व विज्ञान।

Autophagy: What is fasting and science?

Autophagy: जापान के सेल बायोलॉजिस्ट ‘योशिनोरी ओसुमी’ को चिकित्सा के क्षेत्र में ऑटोफैगी के एक महत्वपूर्ण शोध के लिए साल 2016 में नोबेल पुरस्कार दिया गया था। ओसुमी ने अपने शोध में पाया कि अगर आदमी कई घंटों तक कुछ भी न खाये, तो कोशिकाएं हमारे शरीर में मौजूद गंदगी को ही खाने लगती हैं. इसी प्रक्रिया को आटोफैगी कहते हैं।

Autophagy
Autophagy: क्या है व्रत-उपवास व विज्ञान। 3

Autophagy: ‘आटोफैगी’ का शाब्दिक अर्थ ही ‘खुद को खा लेना’ होता है। और इस प्रक्रिया में कोशिकाएं खुद को ही खा लेती हैं. सेल बायोलॉजी की एक मौलिक प्रक्रिया है ऑटोफैगी, जो हमारी सेहत और बीमारियों से लड़ने के लिए जरूरी है. इससे जाहिर है कि उपवास हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी होता है।

Autophagy: अपने शोध में योशिनोरी ओसुमी ने बताया है कि अगर साल में एक बार भी कोई इंसान 20 से 25 दिन रोजाना 9-10 घंटों तक भूखा रहे, तो इससे कैंसर के क्वांटम डॉट्स तेजी से कम हो जाते हैं और कैंसर का खतरा नहीं रह जाता।ऑटोफैगी की प्रक्रिया के रुकने पर मधुमेह होने का खतरा बढ़ जाता है।

Autophagy: आज डॉक्टर भी संतुलित भोजन की सलाह देते हैं और अच्छी सेहत के लिए सप्ताह में एक दिन भूखे रहने या फिर फलाहार की बात करते हैं. उपवास से पेट से संबंधित कई बीमारियों को दूर किया जा सकता है. कहा भी गया है कि पेट ठीक, तो सब ठीक।।

Screenshot 2024 02 26 at 2.06.52 PM
Autophagy: क्या है व्रत-उपवास व विज्ञान। 4

Autophagy: लेकिन आज जिन विषयों पर आधुनिक विज्ञान रिसर्च करके नोबेल पुरस्कार प्राप्त कर रहा है, उन विषयों पर हमारी सनातन संस्कृति के ऋषि-मुनियों ने हजारों लाखों वर्ष पूर्व शोध करके वेद व शास्त्रों में वर्णित कर दिया था। दुर्भाग्य से हमने अपनी सनातन संस्कृति के वेद शास्त्रों का सही उपयोग नहीं किया। यदि हम अपने वेद शास्त्रों के अनुसार अपने जीवन की दशा व दिशा तय करते तो शायद ही इस दुनिया में कोई व्यक्ति दुखी होता..!

Autophagy: प्राचीन काल से ही हमारे प्रत्येक वेद शास्त्रों में उपवास की बड़ी महिमा बताई गई है। मौसम परिवर्तन होने के साथ ही चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र के उपवास, प्रत्येक महीने में दो एकादशी व्रत, इसी श्रृंखला में हमारी संस्कृति में अनेक व्रत व उपवास का प्रावधान बताया गया है। ये व्रत उपवास व्यक्ति के पूरे शरीर का शुद्धिकरण करते हैं, उसके साथ-साथ मन को भी संयमित व पवित्र बनाते हैं व्यक्ति को आत्मोन्नति की ओर अग्रसर करते हैं।।

Autophagy: 15-15 दिन के अंतराल पर पड़ने वाला एकादशी का व्रत इस “आटोफैगी” विधि के लिए काफी उत्तम है। और वैसे भी सनातन शास्त्रों में एकादशी व्रत का बड़ा महत्व है। अतः स्वास्थ्य व अध्यात्म दोनों ही दृष्टि से इस व्रत का पालन करना चाहिए।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Khabron Ka Adda इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

यह भी पढ़े- ब्रज में फुलेरा दूज के दिन से शुरू हो जाती है होली, जानें तारीख, शुभ मुहूर्त और महत्व