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आजम खान, पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को 7-7 साल की सजा।

Azam Khan, wife Tanzin Fatima and son Abdullah Azam were sentenced to 7 years each.

आजम खान, पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को 7-7 साल की सजा।
आजम खान, पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को 7-7 साल की सजा।

फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट मामले में अभी तक आजम खान और उनकी फैमिली जमानत पर थे. रामपुर कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद तीनों की जमानत जब्त कर ली गई है. तीनों को कोर्ट में ही गिरफ्तार कर लिया गया है. कोर्ट ने 50 हजार का जुर्माना भी लगाया है।

यूपी में समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और रामपुर से सांसद रहे आजम खान की मुश्किलें बढ़ गई हैं. फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट मामले में आजम खान और उनकी फैमिली को रामपुर की स्पेशल MP/MLA कोर्ट ने दोषी करार दिया है. कोर्ट ने बुधवार को आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को 7-7 साल की सजा सुनाई. तीनों ने चुनाव लड़ने के लिए फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट बनवाया था. कोर्ट ने 50 हजार का जुर्माना भी लगाया है।

फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट मामले में अभी तक आजम खान और उनकी फैमिली जमानत पर थे. रामपुर कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद तीनों की जमानत जब्त कर ली गई है. तीनों को कोर्ट में ही गिरफ्तार कर लिया गया है और रामपुर जेल ले जाया गया है।

आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम के दो बर्थ सर्टिफिकेट हैं. एक सर्टिफिकेट रामपुर में बना है. चुनाव लड़ने के समय इन्होंने लखनऊ से दूसरा बर्थ सर्टिफिकेट भी बनवाया था. एजुकेशनल सर्टिफिकेट में अब्दुल्ला आजम की डेट ऑफ बर्थ 1 जनवरी 1993 है. जबकि, बर्थ सर्टिफिकेट के आधार पर उनका जन्म 30 सितंबर 1990 बताया गया है. जांच में अब्दुल्ला की तरफ से पेश किए गए बर्थ सर्टिफिकेट को फर्जी पाया था. इसके बाद स्वार सीट से उनका चुनाव भी रद्द कर दिया गया था।

बीजेपी नेता और विधायक आकाश सक्सेना ने साल 2019 में रामुपर के गंज थाने में अब्दुल्ला आजम के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. ये मुकदमा दो बर्थ सर्टिफिकेट से जुड़ा था. इसमें पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम, उनकी पत्नी डॉ. तंजीन फातिमा को भी आरोपी बनाया था. पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी. रामपुर की स्पेशल MP/MLA कोर्ट के मजिस्ट्रेट ट्रायल शोभित बंसल ने तीनों को सजा सुनाई।

अब्दुल्ला आजम ने एक बर्थ सर्टिफिकेट 2012 में बनवाया था. 1993 की डेट ऑफ बर्थ का दूसरा बर्थ सर्टिफिकेट लखनऊ नगर निगम से बनवाया गया था. यह दोनों बर्थ सर्टिफिकेट एक साथ होना 22 वर्ष पहले एक सर्टिफिकेट और 22 साल बाद दूसरा सर्टिफिकेट बनवाया गया. कोर्ट ने इसे धोखाधड़ी का मामला माना. अभियोजन पक्ष की तरफ से 15 गवाह और 19 बचाव पक्ष की तरफ से दिए गए. अदालत ने पाया कि यह मामला धोखाधड़ी का बनता है. बुधवार को तीनों को सजा हुई. अभी तीनों को जेल लाया जाएगा. इसके बाद तीनों अब तक कितनी सजा काट चुके हैं, उसका कैल्कुलेशन किया जाएगा।