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HomeBusinessब्लॉकचेन, एआई पर शोध के लिए एनपीसीआई का आईआईएससी से करार

ब्लॉकचेन, एआई पर शोध के लिए एनपीसीआई का आईआईएससी से करार

ब्लॉकचेन, एआई पर शोध के लिए एनपीसीआई का आईआईएससी से करार

रॉबर्ट साइमन जेएसडब्ल्यू यूएसए के सीईओ नियुक्त

जीआई उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने की जरूरतः विशेषज्ञ

नई दिल्ली
 भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) ने ब्लॉकचेन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर संयुक्त शोध करने के लिए  भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु के साथ दीर्घकालिक समझौते की घोषणा की।

दोनों संस्थाओं के बीच यह सहयोग गहन प्रौद्योगिकी से संबंधित शोध एवं विकास के उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) के गठन का रास्ता भी खोलेगा जिससे नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

एनपीसीआई ने एक बयान में कहा कि यह साझेदारी वित्त-प्रौद्योगिकी से संबंधित आंकड़ों की मदद से ब्लॉकचेन मंचों एवं बहुस्तरीय विश्लेषण पर ध्यान केंद्रित करेगी।

आईआईएससी के पांच विभागों के शिक्षक इन क्षेत्रों से संबंधित व्यावहारिक चुनौतियों पर एनपीसीआई शोधकर्ताओं के साथ काम करेंगे।

बेंगलुरु स्थित आईआईएससी भारत में विज्ञान, इंजीनियरिंग, डिजाइन और प्रबंधन में अग्रणी उन्नत तकनीकी शोध के सबसे पुराने और प्रमुख संस्थानों में से एक है।

रॉबर्ट साइमन जेएसडब्ल्यू यूएसए के सीईओ नियुक्त

नई दिल्ली
इस्पात उत्पादक कंपनी जेएसडब्ल्यू स्टील ने कहा कि उसने रॉबर्ट साइमन को अमेरिकी इकाई का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) नियुक्त किया है।

कंपनी ने एक बयान में कहा कि साइमन अपनी नई भूमिका के तहत अमेरिका में समग्र व्यवसाय का नेतृत्व करेंगे।

जेएसडब्ल्यू यूएसए का हिस्सा बनने से पहले साइमन ओम्नीट्रैक्स सहित कई कंपनियों के साथ सलाहकार के तौर पर काम कर चुके हैं। वह अमेरिका में इस्पात विनिर्माता संघ के चेयरमैन भी रहे हैं।

जेएसडब्ल्यू यूएसए के निदेशक पार्थ जिंदल ने साइमन का स्वागत करते हुए कहा कि उनके पास इस्पात उद्योग में व्यवसायों को बेहतर बनाने और प्रबंधन का विशाल अनुभव है जो कंपनी को आगे बढ़ाने में मददगार होगा।

जीआई उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने की जरूरतः विशेषज्ञ

नई दिल्ली
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को काला नमक चावल और नागपुर संतरे जैसे जीआई (भौगोलिक संकेत) उत्पादों का निर्यात बढ़ाने के लिए इन्हें वैश्विक मंच पर प्रीमियम उत्पाद के तौर पर पेश करना चाहिए।

विशेषज्ञों के मुताबिक, समान अंतरराष्ट्रीय उत्पादों की तुलना में भारतीय जीआई उत्पादों की एक बड़ी कमजोरी मजबूत विपणन और वैश्विक ब्रांड पहचान का अभाव है।

जीआई उत्पाद किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में पैदा होने वाला कृषि, प्राकृतिक या निर्मित उत्पाद (हस्तशिल्प और औद्योगिक सामान) है। यह पहचान उसे गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि कई भारतीय जीआई उत्पाद अपनी अनूठी गुणवत्ता और सांस्कृतिक महत्व के बावजूद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उतने मशहूर नहीं हैं। इसका कारण ठीक से ब्रांडिंग न होना, प्रचार गतिविधियां और वैश्विक बाजारों तक सीमित पहुंच है।

इसके अलावा गुणवत्ता आश्वासन और जीआई टैग के कुशल प्रबंधन से संबंधित मुद्दे भी भारतीय जीआई उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता पर असर डालते हैं।

श्रीवास्तव ने कहा, ‘इन क्षेत्रों को मजबूत करने से भारतीय जीआई उत्पादों की वैश्विक उपस्थिति और बाजार मूल्य में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।’

गैर-सरकारी संगठन ‘ग्रेट मिशन ग्रुप सोसाइटी’ (जीएमजीएस) ने कहा कि भारत में हजारों उत्पाद जीआई के रूप में वर्गीकृत करने लायक हैं और वे स्थानीय समुदायों को लाभान्वित करने के साथ देश की विरासत को सुरक्षित रखेंगे।

जीएमजीएस के संस्थापक चेयरमैन गणेश हिंगमायर ने कहा कि उनके संगठन ने अब तक 89 उत्पादों के लिए जीआई टैग का आवेदन किया है जिनमें से 61 को प्रकाशित या वर्गीकृत किया जा चुका है।

उन्होंने कहा, ”मैं सरकार को भारतीय वस्तुओं को जीआई निशान देने में तेजी लाने का सुझाव देना चाहूंगा। इससे देश के निर्यात को बढ़ावा देने के अलावा उन समुदायों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी जो उन वस्तुओं का उत्पादन कर रहे हैं।”

क्षमता निर्माण और विपणन के लिए जीआई उत्पादकों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है, जिससे इन वस्तुओं के लिए अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा मिलता है।

किसी उत्पाद को जीआई पहचान मिलने के बाद कोई भी व्यक्ति या कंपनी उस नाम से समान वस्तु नहीं बेच सकती है। यह पहचान 10 वर्षों की अवधि के लिए वैध है जिसके बाद इसका नवीनीकरण कराया जा सकता है।

जीआई पहचान वाले मशहूर भारतीय उत्पादों में बासमती चावल, दार्जिलिंग चाय, चंदेरी कपड़ा, मैसूर सिल्क, कुल्लू शॉल, कांगड़ा चाय, तंजौर पेंटिंग, फर्रुखाबाद प्रिंट, लखनऊ जरदोजी और कश्मीर अखरोट की लकड़ी की नक्काशी शामिल हैं।